काश गर उन परिंदों में अपना भी एक वजूद होता...
तो छू लेते उचाईयां आसमां की,
तो समा जाते उस सर्द हवा की नमीं में,
तो मिल जाते खोये ख्वाब हमारे भी ,
तो कर लेते पार इच्छओं की सीमा भी,
तो शायद आस - पास ही मिल जाते तुम्हारे भी निशाँ;
तो जी लेते ज़िन्दगी, ये तश्नगी ज़िन्दगी!!!
--G
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